नदी और नव यौवन



🌥️🌈 नदी और नव यौवन🌥️🌈

प्यार में दीवानी
पिया मिलन की कहानी
सज पर्वतों की रानी आई खास करके
राह खुद ही बनाती मन उल्हास भर के।

पागल नदिया की लहरें 
तोड़ी जाति सब पहरे
गीत गाती, इठलाती मन मिठास भर के।
राह खुद ही बनाती मन उल्हास भर के।

तोड़े बड़े बड़े बांध
पूरी करती सब साध
हिया प्रियतम मिलन की आस भर के
राह खुद ही बनाती मन उल्हास भर के।

जैसे  अल्हड़ सी कुआरी
जैसे चंचल सुकुमारी
जैसे खुश हो खुदी से परिहास कर के
राह खुद ही बनाती मन उल्हास भर के।

जैसे यौवन मदमस्त
 जैसे तरूणी अस्त व्यस्त
जैसे प्रियतम को मिले मन हुलास भर के।
राह खुद ही बनाती मन उल्हास भर के।

जैसे घटा का घमंड
जैसे वेग हो प्रचंड
जैसे मिले अभिमानी अट्टहास कर के।
राह खुद ही बनाती मन उल्हास भर के।

नरसिंह हैरान जौनपुरी मुंबई
7977641797

   4
4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

19-Oct-2021 09:57 PM

बहुत सुंदर रचना

Reply

Niraj Pandey

19-Oct-2021 09:03 PM

बहुत खूब

Reply

बहुत ही सुन्दर रचना 👌👌

Reply